मध्य प्रदेश

मंत्री सारंग और डॉ. चौधरी ने किया जीएमसी में नॉलेज हब का शुभारंभ

बीटा थैलेसीमिया और हीमोग्लोबिनोपैथी के नियंत्रण के लिये चिकित्सकों को मिलेगा प्रशिक्षण

भोपाल

चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने मंगलवार को गांधी चिकित्सा महाविद्यालय भोपाल में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के राज्य हीमोग्लोबिनपैथी मिशन में ईको इंडिया के सहयोग से बीटा थैलेसीमिया और हीमोग्लोबिनोपैथी के नियंत्रण और रोकथाम के लिये क्षमतावर्धन के लिये नॉलेज हब का शुभारंभ किया। मंत्री सारंग ने कहा कि नॉलेज हब के माध्यम से बीटा थैलेसीमिया सहित विभिन्न रक्त विकारों की पहचान, उपचार एवं रोकथाम में सहायता मिलेगी।

स्वास्थ्य मंत्री डॉ. चौधरी ने कहा कि सिकल सेल, एनीमिया जैसी गंभीर रक्तजनित बीमारियों की रोकथाम के लिये राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों में निरंतर कार्य किया जा रहा है। एमडी एनएचएम श्रीमती प्रियंका दास, डीएमई डॉ. ए.के. श्रीवास्तव, ईको इंडिया के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर डॉ. सुनील आनंद, डीन गांधी चिकित्सा महाविद्यालय डॉ. अरविंद राय, हमीदिया अस्पताल अधीक्षक डॉ. आशीष गोहिया सहित अन्य चिकित्सक उपस्थित थे।

10 मोड्यूल्स के समावेश से 150 चिकित्सकों को दिया जायेगा प्रशिक्षण

मंत्री सारंग ने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन एवं ईको इंडिया द्वारा गांधी चिकित्सा महाविद्यालय में नॉलेज हब की स्थापना की गई है। इससे प्रदेश के 50 जिलों में बीटा थैलेसीमिया और हीमोग्लोबिनोपैथी पर केंद्रित चिकित्सकों की क्षमता वृद्धि कार्यक्रम में 150 डॉक्टर्स के शुरूआती समूह के लिए प्रशिक्षण-सत्र शुरू किया गया है।

उन्होंने कहा कि चिकित्सा शिक्षा में मेडिकल के साथ ही इंजीनियरिंग के समावेश से सुदूर इलाकों के चिकित्सकों को भी गंभीर बीमारियों के उपचार में सहायता मिलेगी। साथ ही जाँच, प्रारंभिक निदान, उपचार और समग्र आनुवंशिक रक्त विकारों में चिकित्सकों के कौशल में वृद्धि होगी।

मंत्री डॉ. चौधरी ने कहा कि रक्त विकारों को लेकर राज्य सरकार संवेदनशीलता के साथ कार्य कर रही है। सिकल सेल उन्मूलन मिशन में सिकल सेल एनीमिया, थैलिसिमिया और अन्य हिमोग्लोबिनोपैथी के विकारों से पीड़ित लोगों की स्क्रीनिंग, रेफरल और प्रबंधन की प्रणाली स्थापित की गई है। मिशन के प्रथम चरण में प्रदेश के 2 जनजाति बहुल जिले झाबुआ और अलीराजपुर में पायलट प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है।

बीटा थैलिसिमिया के बारे में

बीटा थैलिसीमिया एक गंभीर अनुवांशिक रक्त जनित रोग है, जिसे कुली एनीमिया भी कहा जाता है। इसके कारण शरीर की कोशिकाओं में ऑक्सीजन का पहुँचना भी कम हो जाता है। इसका सबसे अधिक खतरा कम आयु के शिशुओं को है। इसकी उत्पत्ति मानव जीन में असामान्यता से होती है। यदि नवजात शिशु के माता-पिता में से कोई भी थैलिसीमिया से ग्रसित है, तो शिशु में भी यह रोग होने की 25 प्रतिशत संभावना होती है। यदि माता-पिता दोनों इस रोग से ग्रसित हैं, तो शिशु में इसकी संभावना 50 प्रतिशत तक होती है। सही समय पर जाँच एवं उपचार से मरीज को बचाया जा सकता है।