पीएम साहब आपसे सवाल, रमन के घोटालों की जांच कब करायेंगे : कांग्रेस

रायपुर

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 7 जुलाई को रायपुर में सभा लेने आ रहे हैं। इससे पूर्व कांग्रेस ने बड़ा सवाल दागा है कि डा. रमन सिंह के राज में करीब 1 करोड़ का घोटाला हुआ है,क्या इसकी जांच करायेंगे मोदी जी? इन घोटालों की जांच के लिये मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल ने ईडी को और आपको पत्र भी लिखा है। रमन सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की जांच की शिकायत भी पीएमओ में हुई है।

राजीव भवन में पत्रकारों से चर्चा करते हुये प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी छत्तीसगढ़ आ रहे है उनका स्वागत है। प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार पर रोक की बातें करते है लेकिन जब भ्रष्टाचार के मामले भाजपा से जुड़े हो तो प्रधानमंत्री मौन हो जाते है। अपने मित्र अडानी के घोटालों पर उनकी चुप्पी टूटने का इंतजार सारा देश कर रहा है। भाजपा की छत्तीसगढ़ में 15 साल सरकार थी इन 15 सालों में भ्रष्टाचार के अनेक नये रिकॉर्ड बने। रमन राज में 1 लाख करोड़ से अधिक का घोटाला हुआ है। रमन के घोटालों की जांच के लिये मुख्यमंत्री ने ईडी को और आपको पत्र भी लिखा है। रमन सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की जांच की शिकायत भी पीएमओ में हुई है।  वैसे तो रमन और उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगियों के घोटाले की लंबी सूची है लेकिन हम प्रधानमंत्री जी से 6 घोटालो की जांच की मांग करते है। जिसमें सीधे मनी लॉड्रिंग हुई है और जो ईडी के जांच के दायरे में आता है। क्या प्रधानमंत्री रमन सिंह के इन भ्रष्टाचारों की जांच के लिये केंद्रीय एजेंसियों को भेजने का साहस दिखायेंगे?

गरीबों के राशन का महाघोटाला 36,000 करोड़ के नान घोटाले की जांच-
गरीबों के राशन में डाका डाल कर  36000 करोड़ का राशन घोटाला कर दिया।  नान घोटाले में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और उनके परिजनों के संलिप्त होने के प्रमाण नान डायरी में आये। जिसमें सीएम मैडम, ऐश्वर्या रेसीडेंसी वाली मैडम, सीएम सर सहित दर्जनों ऐसी प्रविष्टियां मिली थी। जिसका इशारा सीधे तत्कालीन सत्ता के केन्द्र की ओर जाता था। रमन सिंह बताते क्यों नहीं कि नान डायरी वाली सीएम मैडम कौन है? जिनके नाम से करोड़ो रू. की इंन्ट्री नान डायरी में है। नान घोटाला छत्तीसगढ़ के गरीबोंं के चावल में प्रभावशाली लोगो द्वारा की गयी डकैती थी। इसके गुनाहगारों के नाम सामने आने ही चाहिये।

चिटफंड घोटाला-
प्रदेश की जनता के 6000 करोड़ से अधिक की रकम चिटफंड कंपनियों ने डकार लिया था। इन चिटफंड कंपनियों को तत्कालीन भाजपा सरकार और सरकार में बैठे हुये लोगों की संरक्षण था। खुद मुख्यमंत्री, डॉ. रमन सिंह; उनके सांसद पुत्र, अभिषेक सिंह; उनकी पत्नी, श्रीमती वीणा सिंह; भाजपाई मंत्री, सांसद व प्रदेश के आला अधिकारी 'रोजगार मेलोंझ् के माध्यम से इन चिटफंड कंपनियों द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सीधे तौर से शामिल हुए। सरकार द्वारा बाकायदा इन कार्यक्रमों के निमंत्रण दिए गए। भोली भाली जनता को लगा कि भाजपाई सरकार इन चिटफंड कंपनियों की साझेदार है और जीवन की सारी कमाई इन घोटालों और गड़बड़झालों में लुटा दी।

शराब घोटाले में लगभग 4400 करोड़ का भ्रष्टाचार
डॉ. रमन सिंह की सरकार ने वर्ष 2012-17 के बीच सरकार ने शराब ठेकेदारों से मिली भगत कर लगभग 4400 करोड़ रूपयों का भ्रष्टाचार किया। रमन सरकार ने भी अपने कार्यकाल में दशकों से चली आ रही आबकारी नीति को परिवर्तित कर दिया था वैसे ही जैसे दिल्ली की आप सरकार ने किया है। दिल्ली की सरकार ने आबकारी नीति में परिवर्तन किया तो भाजपा ने आरोप लगाया कि घोटाला करने के उद्देश्य से शराब निमार्ताओं को फायदा पहुंचाने के लिये यह नीति परिवर्तित की गयी, वहां के उप मुख्यमंत्री को सीबीआई ने गिरफ्तार किया है वे जेल में है। ऐसे ही नीति परिवर्तन के लिये रमन सिंह की तत्कालीन भाजपा सरकार के खिलाफ भी जांच की जानी चाहिये।

पनामा पेपर वाले अभिषाक सिंह की जांच क्यों नहीं –
प्रधानमंत्री जी देश का कालाधन विदेशों में रखने वालों की सूची पनामा पेपर में छत्तीसगढ़ के अभिषाक सिंह का भी नाम है। आप विदेशों से कालाधन वापस लाने की दुहाई देकर सरकार में आये है। आप छत्तीसगढ़ वाले अभिषाक सिंह की जांच क्यों नहीं करवाते है? इस अभिषाक सिंह का नाम छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के पुत्र से मिलता है, इसका पता भी डॉ. रमन सिंह के कवर्धा निवास का पता है।

गौमाता के नाम पर भाजपा नेताओं ने किया 1677 करोड़ का घपला-
प्रधानमंत्री जी भाजपा की रमन सरकार में गौमाता के नाम पर 1677 करोड़ का घोटाला कर दिया गया। रमन राज में गौशालाओं के नाम पर 1677.67 करोड़ रू. भाजपाईयों ने गौशाला के नाम पर डकारा। रमन राज में 15 साल में 17000 से अधिक गायों की मौतें भूख से, बिना चारा पानी के तड़प कर हुई। 15 साल तक गौशालाओं को प्रतिदिन आहार के नाम पर 115 गौशालाओं को प्रतिदिन 28 लाख 75 हजार रु. से अधिक राशि दिया जाता था। इसकी कुल राशि होती है एक साल में 1 अरब 4 करोड़ 93 लाख 75 हजार, 15 साल में 1560 करोड़ का गौशालाओं में चारा के नाम पर दिया गया। 20 हजार रु. पशुओं की दवाइयों के लिए हर माह दिया जाता था प्रत्येक गौशाला को एक साल में 2 लाख 40 हजार रुपया दिया गया। 115 गोशाला को एक साल दवाई के नाम से 2 करोड़ 76 लाख रु. 15 साल में 41.5 करोड़ रु. के करीब दिया गया। शेड निर्माण, बोरवेल, बिजली व्यवस्था के अलावा अन्य खर्चों के नाम से 76 करोड़ रू. बंदरबाट किया। गौशाला को लगभग 5 से 10 एकड़ सरकारी जमीन आवंटित किया गया।

इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक के गुनाहगारों पर कब होगी कार्यवाही –
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में 22000 से अधिक खातेदारों का 54 करोड़ रू. का गबन हो गया। इस बैंक के घोटालेबाजों से भाजपा की तत्कालीन सरकार के मुख्यमंत्री, मंत्रियों ने घूस की रकम लिया था। मुख्य आरोपी ने अपने नार्को टेस्ट में रमन सिंह, बृजमोहन अग्रवाल, राजेश मूणत, अमर अग्रवाल, रामविचार नेताम को पैसे देना स्वीकार किया था। गरीबों के रकम में घोटाले के इन आरोपी भाजपा नेताओं को भाजपा क्यों संरक्षण दे रही है? प्रधानमंत्री जी जवाब दें? पत्रकारवार्ता में प्रदेश महामंत्री चंद्रशेखर शुक्ला, प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर, सुरेन्द्र वर्मा, वंदना राजपूत, अजय साहू, नितिन भंसाली, अजय गंगवानी, संदीप दुबे, रिषभ चंद्राकर उपस्थित थे।

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