ज्ञान और साहित्य का संगम: भोपाल लिटरेचर फेस्टिवल का सातवां संस्‍करण 31 जनवरी से

तीन दिन, 61 सत्र, और अनगिनत विचार | जुटेंगे नामी लेखक और विचारक | विचारों, पुस्तकों और संस्कृति का होगा महासंगम

भोपाल
हर वर्ष की तरह ‘भोपाल लिटरेचर फैस्टिवल’ का भव्य आयोजन पुनः एक बार अनेक नये लेखकों, पर्यावरण विशेषज्ञों, अर्थशास्त्रियों, कूटनीतिज्ञों, कलाकारों एवं इतिहासकारों के साथ शहर के मध्य होने जा रहा हैं। इस वर्ष दिनांक ३१ जनवरी व १ और २ फरवरी को होने वाले आयोजन में हिंदी व अंग्रेजी के अनेक नये लेखकगण सहभागिता करेंगें। कई पुस्तकों का विमोचन भी इस दौरान किया जावेगा।

सोसायटी फॉर कल्चर एण्ड एनवायरमेंट के अध्यक्ष एवं इस बड़े साहित्यिक जलसे के संस्थापक सह-डायरेक्टर श्री राघव चंद्रा ने बताया की भोपाल लिटरेचर फेस्टिवल का यह सातवाँ वर्ष है और इस दौरान यह ‘ज्ञानकुंभ’ ना सिर्फ मध्य प्रदेश के सांस्कृतिक कैलेंडर का प्रमुख हिस्सा बन चुका है वरन्‌ पूरे देश में इसका डंका बज रहा है।

श्री चंद्रा ने बताया की राजनीति, कला, संगीत, इतिहास, सिनेमा, पर्यावरण, सुरक्षा तथा अंतरराष्ट्रीय संबंध आदी विषयों के विशेषज्ञ व नामी-गिरामी लेखकों का यह तीन-दिवसीय जमावड़ा शहर व आसपास के जिलों के साहित्य प्रेमीयों के लिये एक बड़ी सौगात है। यह सभी के लिये खुला है। इसमें कोई टिकट नहीं रखी गयी है। हां, दर्शकों व श्रोताओं को रजिस्ट्रेशन करवाने की व्यवस्था है। दिनांक 3१ जनवरी को प्रातः १९ बजे समारोह का आगाज भारत भवन में होगा व अगले तीन दिनों तक करीब ६१ विभिन्‍न सत्रों में ज्ञान की गंगा यहां बहेगी।

उद्घाटन समारोह में भारत भवन की ट्रस्‍टी व आदिवासी कलाकार पद्मश्री भूरीबाई भी उपस्थित रहेंगी। मप्र शासन के संस्कृति विभाग के सहयोग से होने वाले इस सालाना जलसे में आदिवासी कलाकारों को भी सहभाग रहेगा। कई जिलों से हमने उन्हे उनकी पारंपरिक कला के प्रदर्शन हेतु यहां आमंत्रित किया है। 'ट्रायबल आर्ट फेयर' पहली बार बडे स्तर पर हम आयोजित कर रहें है जिससे प्रदेश व छत्तीसगढ़ के 25 से अधिक आदिवासी कलाकारों को अपनी कला के प्रदर्शन का मौका इस राष्ट्रीय मंच पर मिलेगा।

दिनांक १ फरवरी की शाम प्रख्यात युवा गायिका प्रतिभा सिंह बघेल का गायन रवींद्र भवन में होगा। समय है ६.३० बजे। तीसरे दिन शाम को विभिन्न प्रतियोगिताओं संबंधी पुरस्कार वितरण व॑ फेस्टिवल का समापन होगा। प्रति वर्षानुसार शालेय बच्चों की पेंटिंग, स्टोरीटेलिंग व कविता प्रतियोगिताओं का भी आयोजन हो रहा है और शहर के अनेक विद्यालयों के होनहार बच्चे इसमें गर्मजोशी से भाग ले रहे हैं। पुरस्कृत बच्चे कविता पाठ भी करेंगे। विजेताओं को २ फरवरी को पुरस्कृत किया जावेगा। वर्ष 2024 का सुशीला देवी पुरस्कार “टैक्सी” नामक उत्कृष्ट उपन्यास के लिए प्रसिद्ध लेखिका मंजुला पद्मनाभन को दिया जाएगा।

इस वर्ष एक अभूतपूर्व Solve: “Begum’s Missing Jewels – Murder Mystery” प्रतियोगिता भी रखी गयी है, जिसके संकेतों (Clues) को भारत भवन से ढूंढकर, कहानी को जोड़ना होगा जिससे रहस्य का खुलासा हो। ज्ञान – प्रसारक पुरस्कार: पिछले दो वर्षो से हम प्रख्यात पुस्तक विक्रेताओं को उनकी पुस्तक वितरण सेवाओं व लगन के लिये एक पुरस्कार दे रहे हैं। पहले वर्ष इंदौर व दूसरे वर्ष जबलपुर के पुराने पुस्तक विक्रेताओं को यह 'ज्ञान-प्रसारक’ पुरस्कार दिया गाया था। इस वर्ष भोपाल के वेरायटी बुक्स के श्री सुरेश वाधवा को यह उनकी लंबी सेवाओं के लिये दिया जाएगा।

लेखकों की सूची: 1. अक्षत गुप्ता – हिंदू पौराणिक कथाएं और विज्ञान कथा भारत के पौराणिक आख्यानों को आधुनिक विज्ञान कथा (साइंस फिक्शन) के साथ जोड़कर कैसे नई कहानियां गढ़ी जा सकती हैं? अक्षत गुप्ता, अपनी चर्चित किताब के माध्यम से, इस दिलचस्प विषय पर चर्चा करेंगे और भारतीय पौराणिक पात्रों को भविष्य की दुनिया में कैसे गढ़ा जा सकता है, इस पर प्रकाश डालेंगे।

2. सत्य मोहंती और प्रदीप मेहता – राजनीति, अर्थशास्त्र और न्याय समाज की नीतियों में आर्थिक निर्णय और न्याय का संतुलन कैसे बनाया जाए? सत्य मोहंती अपने शोध और अनुभवों के आधार पर यह समझाने का प्रयास करेंगे कि किस तरह नीति-निर्माण में न्याय और सामाजिक संतुलन की भूमिका अहम होती है।

3. वेदवीर आर्य – प्राचीन भारत का काल निर्धारण क्या प्राचीन भारतीय ग्रंथों में दर्ज तिथियां और समय-चक्र आधुनिक विज्ञान से मेल खाते हैं? वेदवीर आर्य अपनी पुस्तक के आधार पर काल, कल्प और युग की वैज्ञानिक व्याख्या प्रस्तुत करेंगे और प्राचीन भारत के ऐतिहासिक कालक्रम पर रोशनी डालेंगे।

4. डॉ. अलका पांडे – १०८ की आध्यात्मिक शक्ति और रहस्य संख्या १०८ भारतीय संस्कृति में एक गूढ़ और शक्तिशाली अंक माना जाता है। डॉ. अलका पांडे इस रहस्यमयी संख्या के प्रतीकात्मक, कला और आध्यात्मिक प्रभावों पर चर्चा करेंगी और इसके गहरे सांस्कृतिक संदर्भ को उजागर करेंगी।

5. कुश भार्गव – भीष्म पितामह, बाणों की शय्या पर महाभारत में भीष्म पितामह का किरदार त्याग और सिद्धांतों का प्रतीक है। कुश भार्गव अपनी पुस्तक के माध्यम से इस ऐतिहासिक चरित्र के फैसलों, उनकी परीक्षा और उनकी प्रासंगिकता को आधुनिक समय में जोड़कर प्रस्तुत करेंगे।

6. लक्ष्मी पुरी – स्वालोइंग द सन नारी सशक्तिकरण और सामाजिक संघर्षों की कहानी को लक्ष्मी पुरी अपनी पुस्तक स्वालोइंग द सन के माध्यम से प्रस्तुत करेंगी। यह सत्र उन विचारों और अनुभवों पर केंद्रित होगा, जो समाज में परिवर्तन की लहर लाने में सहायक हैं।

7. दुव्वुरी सुब्बाराव – एक केंद्रीय बैंक गवर्नर के संस्मरण रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व गवर्नर दुव्वुरी सुब्बाराव अपनी पुस्तक Just a Mercenary के माध्यम से बताएंगे कि देश की मौद्रिक नीति और वित्तीय निर्णय कैसे लिए जाते हैं और इनका व्यापक आर्थिक प्रभाव क्या होता है।

8. नंदन कामथ – खेल और जीवन का प्रभाव खेल केवल प्रतियोगिता नहीं, बल्कि मानसिक और शारीरिक विकास का एक महत्वपूर्ण माध्यम भी है। नंदन कामथ इस सत्र में खेल जगत के अनुभवों और नेतृत्व कौशल के निर्माण पर चर्चा करेंगे।

9. संध्या मृदुल – बेख़ौफ़ कविता कविता केवल शब्दों का खेल नहीं, बल्कि यह आत्म-अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है। संध्या मृदुल अपनी कविताओं के ज़रिए विचारों की शक्ति और भावनाओं की स्वतंत्रता को दर्शाएंगी। 10. मंजुला पद्मनाभन – Taxi: सुशीला देवी पुस्तक पुरस्कार विजेता मंजुला पद्मनाभन अपनी पुरस्कार-विजेता पुस्तक Taxi पर चर्चा करेंगी, जिसमें सामाजिक संरचना, महिला सशक्तिकरण और व्यक्तिगत संघर्ष की अनूठी झलक मिलती है।"

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