चंडीगढ़ प्रशासन का भ्रष्टाचार रोकने के लिए प्लान, 3 साल बाद बाबुओं की होगी ट्रांसफर, दूसरी लिस्ट तैयार

चंडीगढ़
अब प्रशासन में कोई भी अधिकारी और बाबू एक कुर्सी पर तीन वर्ष से अधिक समय तक नहीं बैठ सकेगा। जिसे भी तीन वर्ष होंगे उसे तुरंत दूसरी जगह ट्रांसफर किया जाएगा। यह सब इंटर डिपार्टमेंटल ट्रांसफर पालिसी के तहत होगा। चंडीगढ़ प्रशासन ने 15 सुपरिंटेंडेंट स्तर के अधिकारियों का एक डिपार्टमेंट से दूसरी जगह ट्रांसफर कर यह साबित भी कर दिया है। इसी तरह से कुछ और अधिकारियों और कर्मचारियों की सूची भी तैयार की गई हैं। अगले कुछ दिनों में यह जारी भी हो जाएंगी।

प्रशासन ने 15 सुपरिंटेंडेंट स्तर के ग्रेड-1 और ग्रेड-2 अधिकारियों का ट्रांसफर किया है। इंटर डिपार्टमेंटल ट्रांसफर पालिसी के तहत इन अधिकारियों के विभाग बदले गए हैं। इन अधिकारियों का मौजूदा डिपार्टमेंट में करीब तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा हो गया था। एडवाइजर धर्म पाल की मंजूरी के बाद यूटी प्रशासन के पर्सोनल डिपार्टमेंट ने यह आदेश जारी किए। भारत सरकार के पर्सोनल और ट्रेनिंग डिपार्टमेंट के दिशानिर्देशों को देखते हुए यह ट्रांसफर की गई हैं। जिसमें अधिकारियों और कर्मचारियों के समय समय पर रोटेशन वाइज ट्रांसफर होने जरूरी हैं। यह ट्रांसफर के आदेश जारी होने के बाद प्रशासनिक गलियारों में चर्चा का बाजार गर्म हो गया।

पहले 300 कर्मचारियों के एक साथ हुए थे ट्रांसफर
इंटर डिपार्टमेंटल ट्रांसफर पालिसी बनने के बाद प्रशासन ने एक साथ 300 से अधिक बाबुओं और अधिकारियों को इधर से उधर ट्रांसफर किया था। इससे पूरे प्रशासन के कर्मचारियों ने विरोध शुरू कर दिया था। मामला पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट तक पहुंचा।

भ्रष्टाचार रोकने के लिए उठाया कदम
यूटी प्रशासन भ्रष्टाचार रोकने के लिए यह कदम उठाया है। बताया जा रहा है कि एक ही सीट पर लंबे समय तक रहने से कई बार भ्रष्टचार की संभावना बढ़ जाती है। संपर्क न बढ़े इसके लिए ट्रांसफर किया जाता है। गवर्नमेंट आफ इंडिया की पालिसी भी है इसके लिए। इसको देखते हुए ही तीन साल बाद ट्रांसफर करने की प्रक्रिया प्रशासन ने शुरू की है।

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