कारोबारियों के ITR और जीएसटी रिटर्न में गड़बड़ी, पुराने मामलों की होगी स्क्रुटनी, भेजे जाएंगे टैक्स नोटिस

नई दिल्ली।
देश भर में वित्त वर्ष 2018-19 के लिए जीएसटी विभाग पुराने मामलों कि स्क्रुटनी करने की तैयारी कर रहा है। हिन्दुस्तान को सूत्रों के जरिए मिली जानकारी के मुताबिक केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड ने डाटा एनॉलिसिस के जरिए बड़े पैमाने पर ऐसे मामलों की पहचान की है, जिनमें लोगों की आमदनी और उनके पुराने रिटर्न में गड़बड़ी देखने को मिली है। मामले से जुड़े अधिकारी के मुताबिक कारोबारियों की तरफ से दाखिल जीएसटी रिटर्न का मिलान दूसरे स्रोतों से सरकार के पास मौजूद जानकारियों से मिलान किया गया है। इसी क्रम में लोगों की तरफ से दी गई जानकारी में अंतर दिखाई दे रहा है। यही वजह है कि विभाग ऐसे मामलों की पहचान करके नोटिस भेजने की तैयारी कर रहा है।
आईटीआर और जीएसटी रिटर्न में भी अंतर
जानकारी मिली है कि विभाग ने कारोबारियों के आईटीआर और जीएसटी रिटर्न में भी अंतर देखने को मिल रहा है। यह नोटिस अगले दो महीने में कारोबारियों को स्क्रूटनी के लिए भेजे जा सकते हैं। जानकारी के मुताबिक इससे पिछले वित्त वर्ष यानी 2017-18 के करीब 35 हजार रिटर्न की स्क्रुटनी जारी है। इन स्क्रुटनी के लिए देश भर के अधिकारियों को गाईडलाइंस जारी की जा चुकी हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक आम तौर पर करदाता आकलन या फिर टैक्स नोटिस से डरते हैं। ऐसे में किसी भी तरह का नोटिस मिलने पर करदाता को इसे बिल्कुल सामान्य प्रक्रिया के तौर पर लेना चाहिए और बजाए जानकारी छुपाने के स्क्रुटनी प्रक्रिया का समर्थन करते हुए सारी जानकारी साझा करनी चाहिए। इस सहयोग से उन्हें विभाग के साथ सहयोग करने वाले वास्तविक और ईमानदार करदाता के तौर पर अपना मामला स्थापित करने में मदद मिलेगी।
ऐसे होती है गड़बड़ी की जांच
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड के स्क्रुटनी विभाग का काम होता है कि करदाताओं की तरफ से फाइल किए गए रिटर्न जांचना। इसके लिए विभाग ई-वे बिल, ई-इनवॉइस, टीडीएस, टीसीएस जैसी चीजों से रिटर्न का मिलान करता है। इस काम के लिए एडवांस एनालिटिक्स इन इनडायरेक्ट टैक्स यानी 'अद्वैत' का सहारा लिया जाता है। बिजनेस इंटेलिजेंस एंड फ्रॉड एनालिसिस यानी 'बीआईएफए' का भी इस्तेमाल किया जाता है। इस तरह की जांच और ऑडिट में डाटा एनालिसिस की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। डाटा एनालिसिस प्रासंगिक जानकारी के आधार पर विभाग की मदद करता है और आज के दौर के विभाग इस मामले में किसी भी प्रकार की त्रुटि या छूटे हुए डाटा का पता लगाने के लिए बेहतर ढंग से सुसज्जित भी है।
टैक्स नोटिस से घबराएं नहीं करदाता
जीएसटी मामलों के जानकार अभिषेक राजा राम ने हिन्दुस्तान को बताया है कि डर की वजह से ही लोग टैक्स विभाग से जानकारी साझा करने में कतराते हैं साथ ही टैक्स नोटिस मिलते ही कई लोग घबरा भी जाते है। उन्होंने बताया कि लोगों को लगता है कि अगर ज्यादा जानकारी देंगे को विभाग उनसे ज्यादा सवाल जवाब करेगा।
ऐसे में कई बार अहम जानकारियां वो देना छोड़ देते हैं। उन्होंने सलाह दी है कि करदाता को विभाग से घबराना बिल्कुल भी नहीं चाहिए और जब भी मांगी जाए, अपने लेन देन से जुड़ी सारी जानकारी विभाग को दे देनी चाहिए। जब भी व्यक्ति कोई जानकरी छुपाता है विभाग को लगता है को जरूर कुछ गड़बड़ है।