बस्तर संभाग के 5 सहायक परियोजना अधिकारी किए गये बर्खास्त
जगदलपुर। नियमितिकरीण और पंचायत नियमावली 1966 की मांग पर मनरेगा महासंघ द्वारा 62 दिनों से अनवरत जारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर सरकार ने कड़ी कार्यवाही करते हुए प्रदेश के 21 जिलों के सहायक परियोजना अधिकारियों सहित बस्तर संभाग के सभी 5 जिलों केसहायक परियोजना अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया है।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अवर सचिव रामलाल खैरवार के द्वारा जारी आदेश में बर्खास्त किए गये सहायक परियोजना अधिकारियों के स्थान पर लोक सेवा आयोग के तहत सीधी भर्ती से नवीन पदस्थापना की सूची जारी की गई है। जिसमें बस्तर जिले में सहायक परियोजना अधिकारी पवन सिंह के स्थान पर नेहा देवांगन, कोण्डागांव में त्रिलोकी प्रसाद के स्थान पर रामेश्वर महापात्रा, कांकेर में रितु कोसरिया के स्थान पर अमित दुबे, दंतेवाड़ा में राजेश वर्मा के स्थान पर मोहनिश आनंद देवांगन और बीजापुर में मनीष सोनवानी के स्थान पर नारायण प्रसाद बंजारे को नवीन पदस्थापना दी है। साथ ही पूर्व जिला सहायक परियोजना अधिकारियों को एक माह का वेतन के साथ बर्खास्तगी ज्ञापन जारी कर दिया गया है।
शासन द्वारा बर्खास्तगी की कार्यवाही के बाद मनरेगा महासंघ के प्रांताध्यक्ष चंद्रशेखर अग्निवंशी ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा समस्त संविदा कर्मचारियों की नियमितीकरण एवं किसी भी संविदा कर्मचारी की छटनी नहीं की जाएगी यह वादा किया गया था, किंतु इसके विपरीत सरकार के जनघोषणा पत्र को आत्मसात करने की मांग को लेकर हड़ताल में बैठे मनरेगा कर्मियों की सेवा समाप्त करना अलोकतांत्रिक रवैया का परिचायक है। छत्तीसगढ़ में स्थिति अब ऐसी बनती जा रही है कि कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर हड़ताल भी नहीं कर पाएंगे। उन्होने इस आदेश की घोर निंदा करते हुए इसे तत्काल निरस्त करने की अपील मुख्यमंत्री से की है, वरना छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। वहीं महासंघ के प्रवक्ता सूरज सिंह ठाकुर ने कहा कि सरकार की कथनी और करनी है में फर्क है। यह कर्मचारी जगत के लिए संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है।