सीएम शिवराज का ‘मास्टर स्ट्रोक’ स्कूल में पढ़ाएंगे, कांग्रेस का तंज ‘नौटंकी मास्टर’ है मामा
जबलपुर
सियासी प्रोग्राम में विकास और मध्यप्रदेश की तकदीर बदलने की शिक्षा देने वाले सीएम शिवराज सिंह चौहान बहुत जल्द 'मास्टर मामा' के रूप में भी नजर आएंगे। उनकी इस रूप में लॉन्चिंग कब कैसे और कहाँ होंगी, अभी तो यह नहीं बताया है। लेकिन कहे तो नए अवतार में 'मास्टर मामा' ने स्कूल में पढ़ने वाले भांजे-भांजियों को अभी से अपना मुरीद बनाना शुरू कर दिया हैं। हालाँकि बहुत जल्द लगने वाली मामा शिवराज की पाठशाला को लेकर कांग्रेस ने तंज कसना जरुर शुरू कर दिया। सीएम की दो दिन स्कूल में ड्यूटी ! एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान किसान के बेटे है। पोस्ट ग्रेजुएट मामा शिवराज का राजनैतिक कैरियर भोपाल के मॉडल हायर सेकेंडरी स्कूल से शुरू हुआ था। 1975 में वें इसी स्कूल में छात्र संघ के अध्यक्ष बने थे। भोपाल के मिंटो हॉल में आयोजित शिक्षक सम्मान समारोह में सीएम ने स्कूल में पढ़ाने की इच्छा जाहिर की।
उन्होंने कहा कि वह स्कूल शिक्षा विभाग से इजाजत मांगेंगे और दो दिन स्कूल में पढ़ाएंगे। सीएम बोले कि स्कूलों की स्थिति सुधारने, लोगों और समाज को स्कूल से जोड़ना होगा। हमें स्कूल में पढ़ा रहे शिक्षकों के सम्मान का भी ख्याल रखना होगा। हम भले ही शिक्षकों को ज्यादा कुछ न दे सकें, लेकिन कम से कम उन्हें हाथ जोड़कर शॉल, श्रीफल, फूल माला पहनकर उनका सम्मान जरुर करें। सीएम का फोकस अब क्वालिटी एजुकेशन पर है। राष्ट्रीय सर्वे उपलब्धि में बेहतर प्रदर्शन करने वाले स्कूलों की जहाँ उन्होंने तारीफ की वही, आने वाले वक्त और बेहतर प्रदर्शन की जरुरत भी बताई।
पहले भी तो पढ़ाया, नतीजा क्या निकला ?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक कार्यक्रम में देश में स्कूली शिक्षा व्यवस्था को सुधारने कई तरह की अपील की थीं। नए प्रयासों की कड़ी में उन्होंने अपने सांसदों, जनप्रतिनिधियों से कहा था कि वह सप्ताह में कम से कम एक दिन सरकारी स्कूलों में जाए और शिक्षा के प्रति बच्चों को प्रोत्साहित करें। 'मिल बांचे कार्यक्रम' की पहल भी की गई थी। जिसमें जनप्रतिनिधि, इच्छुक व्यक्ति स्कूली छात्रों को बतौर वॉलेंटियर स्कूल में जाकर पढ़ा सकता है। मकसद था कि रोज की पढ़ाई के अलावा स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को व्यावहारिक शिक्षा के प्रति भी जागरूक किया जाए।
बच्चों से उनके मन में ठहरे सवाल-जवाब, उनसे ग्रुप डिस्कशन और कक्षा संबंधित पढ़ाई में आने वाली अड़चनों को समझा जाए। पीएम की अपील को शुरुआत में तो जनप्रतिनिधियों ने सिर आँखों पर लिया, सीएम से लेकर मंत्री, विधायक, सांसद और सामाजिक संगठन के लोग मासाब भी बने। लेकिन कुछ दिनों बाद अपनी पुरानी राह पर ही चल पड़े। फोटो सेशन के साथ पढ़ाने गए मासाब दोबारा उन स्कूलों में कभी नजर नहीं आए। पहले की सरकारों पर शिवराज का हमला कांग्रेस के वक्त प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पर प्रहार करते हुए सीएम शिवराज बोले कि उस दौर में मप्र की स्कूली शिक्षा का मान-मर्दन करने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। गुरु को शिक्षा कर्मी बना दिया गया। वेतन के लाले पड़े रहते थे। वेतन के नाम पर सिवाय आश्वासन के कुछ नहीं मिला। आलम यह था कि बच्चो का भविष्य संवारने वाले गुरुओं को चपरासी से भी कम वेतन मिलता था।
शिवराज ने कहा कि अब कर्मी कल्चर नहीं चलेगा। सरकारी स्कूलों की तस्वीर बदलना भाजपा सरकार का संकल्प है। शिक्षकों को उनका हक़ और उन्हें पूरा सम्मान मिले, इसके लिए हम कृत संकल्पित है। नए शिक्षकों की भर्ती का मसला हो या फिर संविदा, अतिथि शिक्षकों की लंबित मांग, सरकार ने हर बात को गंभीरता से लिया। शिक्षा का स्तर सुधारने सीएम राइज़ स्कूल की परिकल्पना इस प्रदेश के लिए मील का पत्थर साबित होगी। एक तरह से प्राइवेट स्कूलों की तरह इन स्कूलों की कार्यप्रणाली है, ताकि आम लोगों का सरकारी स्कूलों के प्रति भरोसा बढ़ सकें। कांग्रेस का तंज शिवराज मासाब नहीं ‘नौटंकी मास्टर’ भोपाल में सीएम शिवराज के स्कूलों में पढ़ाने को लेकर दिए बयान को लेकर कांग्रेस हमलावार हो गई है। कांग्रेस ने शिवराज के आरोपों को सिरे से खारिज किया है।
कमलनाथ सरकार में वित्त मंत्री रहे जबलपुर पश्चिम सीट से विधायक तरुण भनोत ने सीएम शिवराज से सवाल किया है कि पिछले 18 सालों में मास्टर क्यों नहीं बन पाए? बगैर जनादेश के सरकार को गिराने वाले इन मास्टरों को 2023 और 2024 में जनता जबाब देगी। वही जबलपुर में बरगी विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक संजय यादव ने तंज कसा है कि प्रदेश में मामा के नाम पर शिवराज ढोंग कर रहे है। उनके हर वादे, घोषणाओं को जनता भली-भांति जान रही है। चुनाव आ रहे है तो कभी क्रिकेट खेलने का ढोंग, कभी सायकिल चलाना, कभी खिलौने की राजनीति उसके बाद अब स्कूल में पढ़ाने की नौटंकी वाले मामा है शिवराज। यादव ने सीएम को 'नौटंकी मास्टर' करार दिया है। उनका कहना है कि कांग्रेस की सरकार के वक्त प्रदेश में स्कूल शिक्षा पर जितना ध्यान दिया गया, उतना ध्यान कभी नहीं दिया गया।
कांग्रेस पर आरोप लगाकर यह सरकार अपनी बुद्धिमत्ता को प्रदर्शित कर रही है। यादव ने ट्वीट किया है कि उनकी ही विधानसभा के स्कूलों की दयनीय स्थिति के बारे विधानसभा में प्रश्न लगाया गया था तो उसका सरकार ने मंत्री ने हास्यास्पद जबाब दिया कि स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के माता-पिता अशिक्षित है, गरीब है और उनमे समझने की शक्ति नहीं।