न्याय सुधार: जांच अधिकारी को अलग से मिलेगा सलाहकार वकील

भोपाल
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में आपराधिक मामलों में लगी रिट याचिकाओं में अन्वेषण अधिकारियों को सलाह देने के लिए अब राज्य सरकार लोक अभियोजकों के अलावा अधिवक्ताओं की नियुक्ति करेगी।

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्वप्रेरणा रिट याचिका (आपराधिक) के मामलों के विचारण के दौरान कमियों और अपर्याप्तताओं को लेकर उच्च न्यायालय ने मध्यप्रदेश नियम तथा आदेश (आपराधिक) में संशोधन किए है। इसमें लोक अभियोजकों और अन्वेषकों को अलग-अलग किया जाएगा। अन्वेषण अधिकारी को सलाह अब लोक अभियोजकों से नहीं लेना पड़ेगा। इसके लिए अलग से वकीलों की तैनाती की जएगी। दंड प्रक्रिया संहिता के तहत प्रत्येक अभियुक्त को साक्षियों के कथन और अन्वेषण के दौरान जब्त किए गए दस्तावेजों, आवश्यक वस्तुओं तथा प्रदर्षो की एक सूची जिन पर अन्वेषण अधिकारी निर्भर रहा है प्रदाय किए जाएंगे।

प्रत्येक न्यायालय को एक अनुवादक भी उपलब्ध कराया जाएगा। पीठासीन अधिकारी को स्थानीय भाषाओं में प्रशिक्षित किया जाएगा। अनुवादक न्यायालय का कर्मचारी नहीं है तो उसे पारिश्रमिक दिया जाएगा।

गैरजमानती मामलों में जमानत पर फैसला सात दिन में
गैरजमानतीय मामलों में जमानत के लिए आवेदन सामान्यत: प्रथम सुनवाई की तारीख से तीन से सात दिन की अवधि के भीतर निटाए जाएंगे। यदि समयसीमा में जमानत पर निर्णय नहीं होता है तो पीठासीन अधिकारी आदेश में उसके कारण बताएंगे। आदेश एवं जमानत आवेदन का उत्तर अथवा स्थिति प्रतिवेदन पुलिस या अभियोजन की प्रति भी अभियुक्त को आदेश सुनाए जाने की तारीख को ही दी जाएगी। पीठासीन अधिकारी इस मामले में अभियोजक द्वारा कथन प्रस्तुत किए जो पर जो दे सकेगे।

स्थानीय भाषाओं में भी दर्ज होंगे सबूत
न्यायालय में गवाहों के साक्ष्य टंकित अथवा कम्प्यूटर पर तैयार किए जाएंगे। दोनों सुविधा न होने पर स्वयं की हस्तलिपि में लिखे जाएंगे।  साक्ष्य अंग्रेजी के अलावा अन्य भाषा में लिए गए हों तो उनका अनुवाद अंग्रेजी में कराया जाएगा। इसकी एक प्रति अभियुक्त या उसके वकील को नि:शुल्क दी जाएगी।   मध्यप्रदेश जिला न्यायालय वीडियो कांफ्रेसिंग एवं आॅडियो विजुअल इलेक्ट्रानिक लिंकेज नियम के तहत दर्ज किए जाएंगे।

अपराध और सजा का अलग-अलग उल्लेख
निर्णय में अभियुक्त के दोषसिद्धि के मामले में अपराध और दी गई सजा को निर्णय में अलग-अलग दर्शाया जाएगा। यदि कई अभियुक्त है तो उनमें से प्रत्येक के बारे में अलग- अलग कार्यवाही की जाएगी। दोषमुक्ति के मामले में यदि अभियुक्त हिरासत में है तो उसे मुक्त करने के लिए निर्देश दिया जाएगा यदि वह किसी अन्य मामले में हिरासत में न हो।

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