कांग्रेस तीन राज्यों में बगैर CM चेहरे के लड़ेगी चुनाव
नई दिल्ली
आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारियों में जुटी कांग्रेस पार्टी ने खास रणनीति तैयार की है। खबर है कि पार्टी गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव सामूहिक नेतृत्व में लड़ेगी। पार्टी प्रदेश कांग्रेस के किसी नेता को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं करेगी। दोनों राज्यों में पार्टी का सीधा मुकाबला भाजपा से है। पार्टी ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव भी सामूहिक नेतृत्व में लड़ने का फैसला किया है।
नुकसान का डर
कांग्रेस के सामूहिक नेतृत्व में लड़ने के फैसले को पार्टी की अंदरूनी कलह से जोड़कर देखा जा रहा है। तमाम कोशिशों के बावजूद पार्टी कलह को खत्म करने में नाकाम रही है। एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी चेहरा घोषित करके चुनाव लड़ती है, तो फायदे से ज्यादा नुकसान का डर है। गुजरात में कांग्रेस तीन दशक से सत्ता से बाहर है। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी भाजपा को 99 के आंकड़े पर रोकने में सफल रही है। लेकिन पिछले पांच साल में संगठन कमजोर हुआ है। पिछले चुनाव में अहम भूमिका निभाने वाली हार्दिक, कल्पेश और जिग्नेश की तिगड़ी भी बिखर गई है। प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी में गुटबाजी चरम पर है। गुजरात कांग्रेस का कोई नेता किसी दूसरे नेता को बर्दाश्त करने के लिए तैयार नहीं है। यही वजह है कि पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को कई बार नेताओं के साथ चर्चा कर विधानसभा चुनाव की रणनीति का खाका बनाना पड़ा।
गुजरात कांग्रेस प्रभारी रघु शर्मा कई बार दोहरा चुके हैं कि पार्टी सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी। पांच राज्यों में हुए चुनाव में कांग्रेस ने पंजाब के अलावा किसी राज्य में मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित नहीं किया, इसके बावजूद उत्तराखंड में गुटबाजी चरम पर रही। खास बात है कि पार्टी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी कलह का सामना कर रही है।