3 शुभ योग में मनेगा राधारानी का जन्मदिन, जानें पूजा मुहूर्त और महत्व

भगवान श्रीकृष्ण की सबसे प्रिय राधारानी का जन्मदिन भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को है. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी से 15 तिथियों के बाद राधा अष्टमी मनाई जाती है. पहले जन्माष्टमी का उत्सव मनाते हैं, उसके बाद राधा अष्टमी मनाते हैं. राधाजी का जन्म भाद्रपद शुक्ल अष्टमी तिथि को द्वापर युग में हुआ था.

 इस तिथि के दिन राधा जयंती मनाते हैं. कहा जाता है कि राधा के बिना श्रीकृष्ण अधूरे हैं, वैसे ही यदि आपको जन्माष्टमी व्रत का पूर्ण फल पाना है तो राधा अष्टमी का व्रत भी करना चाहिए.  इस साल राधा अष्टमी पर 3 शुभ योग बन रहे हैं. आइए जानते हैं कि राधा अष्टमी कब है और पूजा का मुहूर्त क्या है?

कब है राधा अष्टमी 2023?
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष 22 सितंबर शुक्रवार को दोपहर 01:35 पी एम से भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि प्रारंभ होगी और यह तिथि 23 सितंबर शनिवार को दोपहर 12:17 पी एम तक रहेगी. उदयातिथि के आधार पर राधा अष्टमी 23 सितंबर को है.

राधा अष्टमी की पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?
इस वर्ष राधा अष्टमी की पूजा के लिए 2 घंटे 25 मिनट का समय है. 23 सितंबर को आप दिन में 11 बजकर 01 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 26 मिनट के बीच राधा अष्टमी की पूजा कर सकते हैं.

3 शुभ योग में है राधा अष्टमी 2023
राधा अष्टमी के दिन 3 शुभ योगों का निर्माण हो रहा है. राधा अष्टमी को प्रात:काल से ही सौभाग्य योग शुरू हो जाएगा, जो रात 09 बजकर 31 मिनट तक रहेगा. उसके बाद से शोभन योग बनेगा, जो अगले ​दिन सुबह तक होगा. इनके अलावा रवि योग का भी निर्माण होगा. वह योग दोपहर 02 बजकर 56 मिनट से अगले दिन सुबह 06 बजकर 10 मिनट तक है. हालांकि रवि योग राधा अष्टमी की दोपहर पूजा के बाद बन रहा है. राधा अष्टमी की पूजा सौभाग्य योग में होगी. इस दिन का अभिजित मुहूर्त 11:49 ए एम से दोपहर 12:38 पी एम तक है.

राधा अष्टमी के दिन राहुकाल
राधा जयंती वाले दिन पूजा के लिए राहुकाल वर्जित है. उस काल में आप भूलवश भी पूजा न करें. उस दिन राहुकाल सुबह 09:12 ए एम से सुबह 10:42 ए एम तक है.

राधा अष्टमी व्रत और पूजा से होंगे 3 फायदे
1. राधा अष्टमी के दिन व्रत और पूजा करने से साक्षात् माता लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है. धन, सुख और समृद्धि की कमी दूर होती है.

2. कहते हैं ​कि भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति और आशीर्वाद प्राप्त करना है तो सबसे पहले राधारानी के शरण में जाएं. राधाजी की पूजा करें. इससे भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं.

3. अखंड सौभाग्य की कामना से भी राधा अष्टमी का व्रत रखते हैं और पूजा करते हैं. राधाकृष्ण के आशीर्वाद से दांपत्य जीवन सुखमय होता है.

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