झारखण्ड- जनजातीय कल्याण मंत्री ने किया चित्रकार शिविर का उद्घाटन, ‘विरासत के रंगों में जनजातीय शौर्यगाथा’

रांची।

कल्याण मंत्री श्री चमरा लिंडा ने कहा कि सरकार, झारखंड की जनजातीय संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रतिबद्ध है। झारखंड की जनजातीय कला और संस्कृति को संजोने और जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के गौरवशाली इतिहास को चित्रों के माध्यम से प्रदर्शित करने के उद्देश्य से ही राज्य-स्तरीय जनजातीय चित्रकार शिविर का आयोजन किया जा रहा है।

वह बुधवार को डॉ. राम दयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान परिसर, मोराबादी, रांची में राज्य-स्तरीय जनजातीय चित्रकार शिविर का उद्घाटन कर रहे थे । यह ऐतिहासिक आयोजन जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार एवं झारखंड सरकार के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है।

जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों का संघर्ष प्रेरणा का प्रतीक
मंत्री श्री चमरा लिंडा ने कहा कि झारखंड के जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों का संघर्ष हमारी अस्मिता और प्रेरणा का प्रतीक है। उनकी शौर्यगाथा को कला के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाना बेहद आवश्यक है। इस चित्रकार शिविर के माध्यम से हमें उन वीर सेनानियों की वीरता को पुनः जीवंत करने का अवसर मिला है। साथ ही
झारखंड का जनजातीय समाज हमेशा से अपनी कला, संस्कृति और संघर्षशीलता के लिए जाना जाता है। यहां के कलाकारों की प्रतिभा अद्भुत है, और यह शिविर उन कलाकारों को एक मंच प्रदान करेगा जिससे, वे अपनी कला के माध्यम से इतिहास को संजो सकें।

शिविर का उद्देश्य और महत्व
इस वर्ष धरती आबा बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती का ऐतिहासिक उत्सव मनाया जा रहा है। इस उपलक्ष्य में झारखंड के वीर जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के चित्रांकन हेतु यह चार दिवसीय जनजातीय चित्रकार शिविर (29 जनवरी से 1 फरवरी 2025) आयोजित किया गया है। इस शिविर का मुख्य उद्देश्य झारखंड की वीरभूमि से जुड़े जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों जैसे बिरसा मुंडा, सिद्धू-कान्हू, चांद-भैरव, तिलका मांझी, वीर बुधु भगत, नीलांबर-पीतांबर सहित अन्य अमर योद्धाओं के संघर्ष और योगदान को चित्रों के माध्यम से जीवंत करना है।

जनजातीय कलाकारों की भागीदारी
इस शिविर में झारखंड के कोने-कोने से आए वरिष्ठ एवं युवा जनजातीय चित्रकार हिस्सा ले रहे हैं। प्रतिभागी कलाकार अपने चित्रों के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम के महानायकों की गाथाओं को जीवंत रूप देंगे। चित्रकला की विभिन्न शैलियों, जैसे सोहराई, कोहबर, पिठौरा, गोंड, वारली और अन्य जनजातीय कला रूपों का प्रयोग किया जाएगा, जिससे झारखंड की समृद्ध कला परंपरा को भी बल मिलेगा।

संस्थान परिसर में प्रदर्शनी का आयोजन
शिविर के अंत में सभी चित्रों को एक विशेष प्रदर्शनी के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा, जिसमें झारखंड के स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े चित्रों को प्रदर्शित किया जाएगा। इन चित्रों को झारखंड के विभिन्न सरकारी कार्यालयों, संग्रहालयों और सार्वजनिक स्थलों पर स्थापित करने की योजना बनाई जा रही है, जिससे आने वाली पीढ़ियां अपने इतिहास से अवगत हो सकें।

जनजातीय कलाकारों को प्रोत्साहन देने की पहल
श्री चमरा लिंडा ने यह भी घोषणा की, कि झारखंड सरकार राज्य के जनजातीय कलाकारों को हरसंभव सहयोग प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि राज्य के जनजातीय कलाकारों को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए सरकार कई योजनाओं पर कार्य कर रही है।

जनजातीय समाज में उत्साह
इस आयोजन को लेकर जनजातीय समाज में विशेष उत्साह देखने को मिला। कई समुदायों के प्रतिनिधि, कलाकार, शोधार्थी और विद्यार्थी भी इस शिविर में शामिल हुए। सभी ने इस प्रयास की सराहना की और कहा कि झारखंड की गौरवशाली परंपरा को नई पहचान देने में यह आयोजन मील का पत्थर साबित होगा।

समापन समारोह में होगा विशेष सम्मान
यह चार दिवसीय शिविर 1 फरवरी 2025 को संपन्न होगा। समापन समारोह में सर्वश्रेष्ठ चित्रकारों को विशेष सम्मान और पुरस्कृत किया जाएगा। साथ ही, झारखंड सरकार द्वारा इन चित्रों को आधिकारिक रूप से संरक्षित करने की योजना भी बनाई गई है। धरती आबा बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के अवसर पर आयोजित यह राज्य-स्तरीय जनजातीय चित्रकार शिविर झारखंड के स्वतंत्रता सेनानियों की गाथाओं को एक नई पहचान देगा। यह न केवल झारखंड की सांस्कृतिक विरासत को संजोने का कार्य करेगा, बल्कि जनजातीय चित्रकारों को भी एक नया मंच प्रदान करेगा। जनजातीय समाज की अमूल्य धरोहर को सहेजने के लिए इस तरह के आयोजन भविष्य में भी होते रहेंगे। मौके पर मुख्य रूप से टीसीडीसी प्रबंध निदेशक नियोलसन बागे, कल्याण आयुक्त श्री अजय नाथ झा व अन्य मौजूद थे।

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