उद्धव की नाक के नीचे से फडणवीस ने निकाल ली सीट, संजय राउत बोले राज्यसभा चुनाव के परिणाम से सरकार पर खतरा नहीं
मुंबई
महाराष्ट्र में विपक्षी दल भाजपा ने सत्ताधारी शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस के महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन को झटका देते हुए राज्यसभा की छह में से तीन सीटों पर जीत दर्ज की। भाजपा के पास पर्याप्त संख्या नहीं थी, लेकिन 17 विधायकों के मतों का जुगाड़ करके देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना सुप्रीमो और सूबे के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की नाक के नीचे से एक सीट निकाल ली। इसके साथ फडणवीस ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वह सियासत के मैदान के मंझे हुए खिलाड़ी हैं। हार स्वीकार करते हुए राकांपा के दिग्गज नेता शरद पवार ने कहा कि हमें इस सरप्राइज को स्वीकार करना होगा और यह कबूल करना होगा कि देवेंद्र फडणवीस निर्दलीय विधायकों को अपने पाले में लाने में समर्थ रहे। एमवीए ने फडणवीस को राज्यसभा के लिए सर्वसम्मति बनाने की पेशकश की थी, लेकिन छह में से दो सीटों का प्रस्ताव भाजपा को स्वीकार नहीं था। इसकी वजह से करीब 24 साल बाद राज्य में राज्यसभा सीट के लिए चुनाव कराने की नौबत आई। शिवसेना के उम्मीदवार की हार के बाद संजय राउत ने कहा कि इसका महा विकास अघाड़ी सरकार की स्थिरता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
बीजेपी की जीत के बाद पवार ने की फडणवीस की तारीफ
निर्वाचन आयोग की ओर से विजयी घोषित उम्मीदवारों में भाजपा के पीयूष गोयल, अनिल बोंडे और धनंजय महादिक, शिवसेना के संजय राउत, राकांपा के प्रफुल्ल पटेल और कांग्रेस के इमरान प्रतापगढ़ी शामिल हैं। मुकाबला छठी सीट के लिए था, जिस पर भाजपा ने पूर्व सांसद धनंजय महादिक को मैदान में उतारा था, जबकि संजय पवार शिवसेना के प्रत्याशी थे। दोनों पश्चिमी महाराष्ट्र के कोल्हापुर से ताल्लुक रखते हैं। छठी सीट पर पवार को महादिक के हाथों हार का सामना करना पड़ा। आयोग के मुताबिक, कुल 284 वैध मतों में से पीयूष गोयल को 48, अनिल बोंडे को 48, धनंजय महादिक को 41, संजय राउत को 41, इमरान प्रतापगढ़ी को 44, प्रफुल्ल पटेल को 43 और सजंय पवार को 39 वोट मिले। पहले पांच विजेताओं की घोषणा पहले राउंड के बाद ही कर दी गई, लेकिन धनजंय महादिक की घोषणा दूसरी वरीयता के मतों की गिनती के बाद हुई।
महाराष्ट्र में भाजपा के 106 विधायक हैं और उसके तीनों उम्मीदवारों को 123 विधायकों के वोट मिले हैं। जाहिर है, भाजपा को 17 अन्य विधायकों को वोट मिले, जिनमें निर्दलीय और छोटे दलों के सदस्य हैं। दूसरी तरफ, अनिल देशमुख और नवाब मलिक की गैर-मौजूदगी में एमवीए के विधायकों की संख्या 150 है और उसके चारों उम्मीदवारों को मिले वोटों की संख्या 162 है। एमवीए के एक नेता ने कहा कि सरकार को समर्थन कर रहे कम-से-कम 5 विधायकों ने हमारे उम्मीदवारों को वोट नहीं किया। उन्होंने कहा, "2019 में जब सरकार बनी थी तो विश्वास मत के दौरान 170 विधायकों का मत मिला था। शिवसेना के एक विधायक की मौत और अनिल देशमुख व नवाब मलिक के जेल में हैं, इसके बावजूद हमें 167 वोट मिलने चाहिए थे पर हमें हमारे आकलन से 5 मत कम मिले।"
इससे पहले वोटिंग के बाद करीब 9 घंटे तक काउंटिग शुरू नहीं हो पाई। भाजपा और सत्तारूढ़ गठबंधन द्वारा क्रॉस वोटिंग और नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए कुछ वोट अयोग्य ठहराने की मांग की गई थी। जिन पांच विधायकों को लेकर दोनों पक्षों की ओर से शिकायतें आई थीं उनके वोट डालने के वीडियो फुटेज को देखने के बाद चुनाव आयोग ने शिवसेना विधायक सुहास कांडे के वोट को खारिज करने का निर्देश दिया। इसके बाद देर रात करीब दो बजे मतगणना शुरू हुई। चौंकाने वाले नतीजों के बाद कांग्रेस नेताओं ने एमवीए में समन्वय की कमी की बात मानी। महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता बालासाहेब थोराट ने कहा कि यह मंथन का विषय है कि कहां चूक हुई। उन्होंने कहा, "भाजपा मतगणना को रुकवाने और एक वोट को अमान्य घोषित कराने में सफल रही। हमें विश्वास था कि हमारे चारों उम्मीदवार आराम से जीत जाएंगे।" शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि महादिक दूसरी वरीयता के वोटों से जीत गए, हमें चार लोगों ने वोट नहीं दिया और वे कौन हैं, हमें पता है। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने केंद्रीय एजेंसियों और चुनाव आयोग की मदद से तीसरी सीट जीती है।