अहिल्याबाई होल्कर त्रिशताब्दी समारोह में शामिल होंगे उपराष्ट्रपति धनखड़, सीएम योगी भी रहेंगे मौजूद

आगरा

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ आज आगरा दौरे पर रहेंगे. इस दौरान उनके साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी आगरा में मौजूद रहेंगे. उपराष्ट्रपति यहां पर आयोजित अहिल्याबाई होल्कर त्रिशताब्दी समारोह में शामिल होंगे. कार्यक्रम में हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय भी उपस्थित रहेंगे. GIIC मैदान में ये समारोह होगा. इस बीच वीवीआईपी मूवमेंट के चलते ड्रोन उड़ाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.

बता दें सीएम योगी भी इस कार्यक्रम में शामिल होंगे. इससे पहले वे सुबह 9:15 बजे सूचना विभाग की बैठक में शामिल होंगे. इसके बाद दोपहर 1 बजे वे आगरा पहुंचेंगे. जहां वे अहिल्याबाई जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति और हरियाणा राज्यपाल के साथ मंच साझा करेंगे.

अहिल्याबाई स्वयं एक भावना प्रधान महिला थीं. महिलाओं के सम्मान और अधिकार के प्रति वे ज्यादा संवेदनशील थीं. वे कभी भी पुरुषों की उपस्थिति में महिलाओं की व्यथा नहीं सुनती थीं. उन दिनों एक नियम था. यदि किसी पुरुष का निधन हो जाए और उसकी कोई संतान न हो तो उसकी सारी संपत्ति राजकोष में चली जाती थी. यदि पुत्र का निधन हो गया और कोई पुरुष उत्तराधिकारी न हो तो इस संपत्ति पर भी महिला का कोई अधिकार नहीं होता था. अहिल्याबाई ने यह नियम बदला और पति या पुत्र के निधन पर मां या फिर पत्नी का अधिकार सुनिश्चित किया.

तीर्थ स्थलों और घाटों का कराया निर्माण
अहिल्याबाई इंदौर की शासक थी पर उनकी दृष्टि व्यापक थी. उन्होंने पूरे भारत राष्ट्र में सांस्कृतिक पुनर्जागरण का अभियान चलाया. देश का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जहां उन्होंने मंदिर, प्रवचन कक्ष, अन्नक्षेत्र, विद्यालय या व्यायाम शाला की स्थापना न की हो. सुदूर बद्रीनाथ, हरिद्वार, केदारनाथ में धर्मशालाओं और अन्नसत्रों का निर्माण कराया. कलकत्ता से बनारस तक की सड़क का निर्माण कराया. बनारस में अन्नपूर्णा का मंदिर, गया में विष्णु मन्दिर और घाट उन्हीं के बनवाए हुए हैं. इसके अतिरिक्त सोमनाथ, अयोध्या, मथुरा, द्वारका, रामेश्वर, जगन्नाथ पुरी आदि एक सौ तीस स्थानों पर मंदिर, धर्म शालाएं बनवाई. अहिल्याबाई ने अपने पति खांडेराव और ससुर मल्हारराव की स्मृति में भी इंदौर राज्य की सीमा के भीतर और अन्य राज्यों में विधवाओं, अनाथों, दिव्यांग लोगों के लिए आश्रम बनवाए. अहिल्याबाई ने 13 अगस्त 1795 को अपने जीवन की अंतिम सांस ली.

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