छत्तीसगढ़ में ‘BIG BOSS’ वॉट्सएप ग्रुप से रची गई घोटाले की साजिश, ED की चार्जशीट में चौंकाने वाले खुलासे

रायपुर
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ताजा चार्जशीट ने प्रदेश की सियासत गरमा दी है। कोर्ट में पेश चार्जशीट में दावा किया गया है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में 'बिग बास ग्रुप' नामक एक संगठित गिरोह सक्रिय था, जिसमें बड़े अधिकारी, कारोबारी, नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल और उनके करीबी मित्र शामिल थे।
यह नेटवर्क शराब, कोयला और ऑनलाइन सट्टेबाजी जैसे अवैध कारोबार से अरबों रुपये की कमाई के साथ-साथ अधिकारियों के खिलाफ सुनियोजित षड्यंत्र रचता था। चार्जशीट में दर्ज चैट्स और दस्तावेजों से ईडी का कहना है कि यह गैंग फिल्मी स्क्रिप्ट और मनगढ़ंत कहानियों का सहारा लेकर अफसरों की छवि को खराब करने में लगा था। खासकर एक विवादित आइपीएस की 'कल्पनाओं पर आधारित डायरी' को हथियार बनाकर ईमानदार अधिकारियों के खिलाफ अफवाहें फैलाकर उन्हें दबाव में लाने की कोशिश की गई। इससे कई अधिकारियों की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा और वे मानसिक रूप से प्रताड़ित हुए।
वॉट्सएप ग्रुप में शराब घोटाले से जुड़ी चर्चा और पैसों के लेन-देन की बातें हैं। ED ने अपनी चार्जशीट में खुलासा किया है कि पूर्व सीएम भूपेश बघेल की डिप्टी सेक्रेटरी रही सौम्या चौरसिया शराब सिंडिकेट के लोगों से बातचीत के दौरान IAS अफसरों के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल करती थी, उन्हें गाली देती थी।
इसके साथ ही उन्होंने कई बार सिंडिकेट के कुछ सदस्यों काे हिसाब किताब की जानकारी नहीं देने की बात भी लिखी है। चैट में इस बात का भी जिक्र है कि चैतन्य के लिए पप्पू बंसल, सौम्या के लिए दीपेंद्र कुरियर बॉय का काम करता था, ये उन्हें पैसे पहुंचाते थे, जिसे वह डिलीवर कहकर बात करते थे।
चैट्स से खुला सिंडिकेट का राज, चैतन्य का नंबर बिट्टू नाम से सेव था
शराब घोटाले में गिरफ्तार अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा और सौम्या चौरसिया के मोबाइल की जांच में कई चौंकाने वाले राजफाश हुए हैं। अनवर के मोबाइल में चैतन्य बघेल का नंबर 'बिट्टू' नाम से सेव था, जिसमें पैसों की डीलिंग से लेकर नकली होलोग्राम बनाने तक की बातचीत सामने आई है।
ईडी की चार्जशीट के अनुसार, ‘बिग बॉस’ नामक व्हाट्सएप ग्रुप में चैतन्य बघेल, अनवर ढेबर, सौम्या चौरसिया, अनिल टुटेजा और पुष्पक जैसे प्रमुख सदस्य जुड़े थे। इस ग्रुप के जरिए शराब घोटाले की प्लानिंग, मनी लाड्रिंग, रकम के वितरण और हेराफेरी की सूचनाएं साझा की जाती थी। चैट्स में कब, किसे कॉल किया गया और कितनी देर बातचीत हुई, इसका पूरा विवरण भी चार्जशीट में शामिल है।
1000 करोड़ का कैश मैनेज किया
भिलाई के शराब कारोबारी पप्पू बंसल ने ईडी की पूछताछ में बताया है कि उसने चैतन्य के साथ मिलकर 1000 करोड़ से अधिक कैश मैनेज किया। यह राशि अनवर ढेबर से दीपेन चावड़ा होते हुए कांग्रेस नेताओं रामगोपाल अग्रवाल और केके श्रीवास्तव तक पहुंचाई गई। बंसल ने यह भी माना कि उसे तीन महीने में 136 करोड़ रुपये मिले थे।
पप्पू बंसल ने खोला राज
दुर्ग-भिलाई के शराब कारोबारी और भूपेश बघेल के करीबी माने जाने वाले लक्ष्मी नारायण उर्फ पप्पू बंसल ने पूछताछ में बड़ा खुलासा किया था। उन्होंने माना कि उन्होंने और चैतन्य ने मिलकर 1000 करोड़ रुपए से ज्यादा कैश को मैनेज किया।
बंसल ने बताया कि यह रकम अनवर ढेबर से दीपेंद्र चावड़ा और फिर कांग्रेस नेताओं रामगोपाल अग्रवाल और केके श्रीवास्तव तक पहुंचाई जाती थी। बंसल ने यह भी स्वीकार किया कि तीन महीने की अवधि में ही उन्हें 136 करोड़ रुपए मिले।
रियल एस्टेट में लगाया ब्लैक मनी
ED ने आरोप लगाया कि चैतन्य ने अपने विठ्ठल ग्रीन प्रोजेक्ट और बघेल डेवलपर्स एंड एसोसिएट्स में शराब घोटाले की रकम निवेश की। असल खर्च 13-15 करोड़ रुपए था, लेकिन दस्तावेजों में मात्र 7.14 करोड़ दिखाया गया।
वहीं डिजिटल डिवाइस की जांच से पता चला कि एक ठेकेदार को 4.2 करोड़ रुपए कैश में भुगतान किया गया, जिसका हिसाब रिकॉर्ड में नहीं था। इसी प्रोजेक्ट में त्रिलोक सिंह ढिल्लों ने 19 फ्लैट खरीदे, लेकिन भुगतान खुद किया। ED के मुताबिक यह सब ब्लैक मनी को सफेद दिखाने के लिए किया गया।
मोबाइल चैट्स से खुलासा
ED ने जब अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा और सौम्या चौरसिया के मोबाइल की जांच की तो चौंकाने वाले चैट्स मिले। अनवर के मोबाइल में चैतन्य का नंबर ‘बिट्टू’ नाम से सेव था। इसमें पैसों की डीलिंग और नकली होलोग्राम बनाने तक की चर्चा थी।