बिहार मंत्रिमंडल में नंबरगेम: बीजेपी आगे, क्या नीतीश सरकार के बड़े मंत्रालयों पर भी पड़ेगा असर?

नई दिल्ली
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में एनडीए सरकार बन गई है. नीतीश कुमार ने सीएम, तो सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली. नीतीश कैबिनेट में दोनों डिप्टी सीएम सहित 26 मंत्री बनाए गए हैं, जिसमें जेडीयू से ज्यादा बीजेपी कोटे से मंत्री बने हैं. इस तरह मंत्रिमंडल के नंबर गेम में फिलहाल बीजेपी आगे निकल गई है. क्या मंत्रियों को विभागों के बंटवारे में भी बीजेपी अपनी गठबंधन सहयोगी जेडीयू पर भारी पड़ेगी या फिर नीतीश कुमार का रहेगा होल्ड?
नीतीश कुमार के नेतृत्व में बनी एनडीए सरकार में फिलहाल 26 मंत्री बनाए गए हैं. बीजेपी कोटे से 14 मंत्री, जेडीयू से 8 मंत्री, एलजेपी (आर) के 2, आरएलएम और हिंदुस्तान आवाम मोर्चा से एक-एक मंत्री बने हैं. ऐसे में कैबिनेट के गठन में जेडीयू से करीब दोगुना मंत्री बीजेपी के बनाए गए हैं. हालांकि, नीतीश सरकार में 9 मंत्री पद अभी भी खाली है, जिन्हें बाद में भरा जाएगा.
बिहार में एनडीए सरकार के शपथ ग्रहण के बाद अब बारी मंत्रालय के विभागों के बंटवारे की है. नीतीश सरकार में कौन सा मंत्रालय किस मंत्री को मिलेगा, इस पर लोगों की निगाहें लगी हुई हैं. खासकर गृह, वित्त, ऊर्जा, स्वास्थ्य, लोक निर्माण जैसे मंत्रालय को हाईवेट माना जाता है. बीजेपी मंत्रियों के नंबर गेम में जिस तरह से आगे निकली है, क्या उसी तरह से विभागों के बंटवारे में भी उसका वर्चस्व बरकरार रहेगा?
अध्यक्ष पद के लिए जेडीयू और बीजेपी के बीच खींचतान कई दिनों तक चलती रही. बाद में स्पीकर पोस्ट बीजेपी के हिस्से में जाने की बात सामने आई है. माना जा रहा है कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता प्रेम कुमार को स्पीकर बनाया जा सकता है, क्योंकि उन्होंने गुरुवार को मंत्री पद की शपथ नहीं ली. अब बारी मंत्रालय के विभागों के बंटवारे की है. ऐसे में सबसे ज्यादा निगाहें गृह और वित्त मंत्रालय पर है.
नीतीश क्या गृह मंत्रालय अपने पास रखेंगे
नीतीश कुमार बिहार की सत्ता जब से संभाल रहे हैं, तब से गृह मंत्रालय अपने पास रखे हुए हैं. विधानसभा चुनाव नतीजे आने के बाद से ही गृह विभाग को लेकर बीजेपी और जेडीयू दोनों ही दावे कर रही हैं. 2024 में नीतीश महागठबंधन से नाता तोड़कर दोबारा से एनडीए के साथ आए थे तो उस समय शपथ ग्रहण के पांच दिनों के बाद तक विभागों का बंटवारा नहीं हो सका था. बीजेपी की लाख कोशिश के बावजूद नीतीश कुमार गृह विभाग अपने पास रखने में कामयाब रहे थे.
गृह मंत्रालय के जरिए ही नीतीश कुमार ने सुशासन बाबू वाली अपनी छवि बनाने में कामयाब रहे. नीतीश कुमार इसी यूएसपी के सहारे आरजेडी के जंगल राज के तिलिस्म को तोड़ा. कानून-व्यवस्था,पुलिस प्रशासन और भ्रष्टाचार नियंत्रण जैसे मामलों पर सीधी पकड़ रखने के लिए गृह विभाग को छोड़ना नहीं चाहते हैं. बीजेपी की नजर लंबे समय से इसी गृह विभाग पर है, जिसे लेकर 2024 में जेडीयू के साथ कई दिनों तक बार्गेनिंग करती रही. उस समय बात नहीं बनी, लेकिन अब देखना है कि इस बार गृह मंत्रालय किसे मिलता है.
स्वास्थ्य, वित्त और शिक्षा मंत्रालय पर नजर
गृह मंत्रालय ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य, वित्त, शिक्षा और लोक निर्माण जैसे हाईवेट मंत्रालय पर भी लोगों की नजर है. नीतीश कुमार 2005 से ही गृह मंत्रालय अपने पास रखते हैं तो वित्त मंत्रालय बीजेपी कोटे से बनने वाले डिप्टीसीएम को देती रही है. पहले सुशील मोदी के पास रहा और उसके बाद तारकिशोर प्रसाद और फिर सम्राट चौधरी को मिला.
हालांकि, महागठबंधन सरकार के दौरान वित्त मंत्री का जिम्मा जेडीयू के विजय चौधरी के पास रहा. 2024 में नीतीश दोबारा से एनडीए में वापसी किए तो माना जा रहा है था कि वित्त जेडीयू के खाते में रहेगा और बदले में शिक्षा बीजेपी के पास रहेगी. बीजेपी ने वित्त विभाग को प्राथमिकता दी और डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी को वित्त मंत्रालय मिला था. ऐसे में वित्त मंत्रालय पर बीजेपी और जेडीयू दोनों की नजर है, लेकिन सियासी पैटर्न देखें तो बीजेपी के हिस्से में जा सकता है.
बीजेपी-जेडीयू के पास कौन-कौन मंत्रालय थे
बिहार की एनडीए सरकार में बीजेपी के पास वित्त, नगर विकास और आवास, स्वास्थ्य, खेल, पंचायती राज, उद्योग, पशु एवं मत्सय संसाधन,विधि, सहकारिता, पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण, आपदा प्रबंधन, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन, पर्यटन, कृषि, पथ निर्माण, भूमि सुधार, गन्ना उद्योग, खान एवं भूतत्व, श्रम संसाधन, कला, संस्कृति और युवा, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण जैसे विभाग थे.
वहीं, जेडीयू के पास फिलहाल सामान्य प्रशासन, गृह, मंत्रिमंडल सचिवालय, निगरानी, निर्वाचन, जल संसाधन, संसदीय कार्य, भवन निर्माण और परिवहन, शिक्षा, सूचना और जन संपर्क, ऊर्जा, योजना और विकास, मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन, ग्रामीण कार्य, अल्पसंख्यक कल्याण, ग्रामीण विकास, समाज कल्याण, खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण, विज्ञान, प्रावैधिकी एवं तकनीकी शिक्षा मंत्रालय थे. जीतनराम मांझी की पार्टी को सूचना प्रौद्योगिकी, अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण विभाग मिला था.
कैबिनेट में किसे मिलेगा कौन सा विभाग
नीतीश कुमार ने अपनी सरकार में जेडीयू कोटे से भी पुराने और अनुभवी चेहरों को मंत्री बनाया है जबकि बीजेपी ने अपने कई पुराने चेहरे को ड्राप करके उनकी जगह नए फेस को मंत्री बनाया है. ऐसे में हाई प्रोफाइल मंत्रालय पर जेडीयू अपना दावा करेगी. अभी तक के पैटर्न के लिहाज से राजस्व, सहकारिता, पशु एवं मत्स्य संसाधन, विधि, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण,उद्योग, पर्यटन और पथ निर्माण बीजेपी को मिल सकता है.
जेडीयू के खाते में कृषि, खान एवं भूतत्व, जल संसाधन, संसदीय कार्य, ऊर्जा, योजना एवं विकास, विज्ञान एवं प्रावैधिकी, तकनीकी शिक्षा, ग्रामीण विकास, खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण जैसे मंत्रालय मिल सकते हैं. हालांकि, बीजेपी चाहती है कि गृह और शिक्षा उसके पास आ जाए, इसके बदले वह स्वास्थ्य और वित्त जैसे विभाग छोड़ने को तैयार है. ऐसे में देखना होगा कि बिहार के बदले हुए माहौल में कौन मंत्रालय का जिम्मा किसे मिलता है?



