सीएम योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था में एआई क्रांति

लखनऊ,
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विजन के मुताबिक प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था में AI (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) के प्रयोग को बढ़ावा दे कर, स्वास्थ्य व्यवस्था को अधिक कुशल, नवाचारी एवं समावेशी बनाने के साथ-साथ इलाज को सस्ता व सर्वसुलभ बनाया जा रहा है। सीएम योगी के मार्गदर्शन में प्रदेश में संचालित एआई आधारित डिजिटल स्वास्थ्य पहल से चिकित्सा सेवाओं की पहुंच शहरी से लेकर दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है। टेली मेडिसिन व ई-संजवीनी जैसी एआई संचालित स्वास्थ्य सेवाओं ने स्वास्थ्य पर खर्च को भी बहुत कम किया है। इसी क्रम में राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) और आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) जैसे कार्यक्रमों के संचालन में एआई व अत्याधुनिक डिजीटल तकनीक का प्रयोग कर उत्तर प्रदेश अग्रणी राज्य बन गया है। जिसके चलते उत्तर प्रदेश वर्तमान में स्वास्थ् क्षेत्र में एआई क्रांति का वाहक बन कर उभर रहा है।
ई-संजीवनी प्लेटफॉर्म के संचालन में उत्तर प्रदेश सबसे आगे
सीएम योगी आदित्यनाथ के विजन के मुताबित प्रदेश के स्वास्थ्य क्षेत्र की एआई क्रांति के सबसे प्रमुख संकेतक है, ई-संजीवनी कार्यक्रम। टेलीमेडिसिन के ई-संजीवनी प्लेटफॉर्म के संचालन में उत्तर प्रदेश सबसे आगे रहा है। राज्य में ई-संजीवनी प्लेटफार्म की शुरूवात से अब तक करोड़ों की संख्यां में टेली-परामर्श प्रदान किये जा चुके हैं। ई-संजीवनी प्लेटफार्म के जरिये रोगीयों को एआई-संचालित वर्चुअल कंसल्टेशन के माध्यम से विशेषज्ञ सलाह प्रदान की जाती है। जिसका लाभ ग्रामीण और दूर-दराज के क्षेत्रों के उन लोगों को मिल रहा है, जहां पारंपरिक चिकित्सा सुविधाएं सीमित हैं और मरीजों के पास गंभीर रोगों के लिए स्वास्थ्य परामर्श पर खर्च के लिए पैसों की भी कमी है। एनएचए की 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, इन परामर्शों में 70 प्रतिशत से अधिक ग्रामीण मरीज शामिल हैं, जो एआई कंसल्टेंसी के द्वारा प्रारंभिक निदान और दवा परामर्श से लाभान्वित हो रहे हैं।
वर्ष 2024-2025 में 4,000 से अधिक स्वास्थ्य कर्मियों को एआई और डिजिटल स्वास्थ्य कौशलों में प्रशिक्षिण
सीएम योगी के विजन के मुताबिक स्वास्थ्य सेवा में कार्यरत मानव संसाधन के कौशल विकास पर भी जोर दिया जा रहा है। इस क्रम में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत वर्ष 2024-2025 में 4,000 से अधिक स्वास्थ्य कर्मियों को एआई और डिजिटल स्वास्थ्य कौशलों में प्रशिक्षित किया गया है। इस प्रशिक्षण में स्वास्थ्य कर्मियों को डेटा एनालिटिक्स, टेलीमेडिसिन प्रोटोकॉल और साइबर सिक्योरिटी जैसे विषयों की भी दक्षता प्रदान की जा रही है। एएचएम उत्तर प्रदेश के आंकडों के अनुसार इन प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों ने ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों में एआई-आधारित स्क्रीनिंग टूल्स को प्रभावी ढंग से लागू कर निदान की सटीकता में 30 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। यह कदम रोजगार के नए अवसर भी पैदा कर रहा है, खासकर उन युवा स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए, जो अब डिजिटल स्वास्थ्य स्टार्ट-अप्स में अपना योगदान दे रहे हैं।
आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता आईडी के मामले में यूपी देश का अग्रणी राज्य
आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन में भी उत्तर प्रदेश का प्रदर्शन सराहनीय रहा है। राज्य में 12.45 करोड़ से अधिक आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता आईडी बनाये जा चुके हैं, जिसमें यूपी देश के अग्रणी राज्यों में शुमार है। एबीडीएम 2024 रिपोर्ट के मुताबिक, ये आईडी रियल-टाइम स्वास्थ्य रिकॉर्डिंग, एआई-आधारित जोखिम मूल्यांकन और व्यक्तिगत सिफारिशों की नींव रखती हैं। एक एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म के रूप में, एएचबीए मरीजों के डेटा को सुरक्षित रखते हुए चिकित्सकों तक तत्काल पहुंच प्रदान करता है। साथ ही मरीजों की एआई बेस्ड केस स्टडी से मरीजों को स्वास्थ्य परामर्श करना आसान हो जाता है।
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट- 2023 में 500 करोड़ से अधिक के स्वास्थ्य-तकनीक स्टार्ट-अप्स के प्रस्ताव
नवाचार के क्षेत्र में, राज्य सरकार ने हेल्थ-टेक स्टार्ट-अप्स को प्रोत्साहित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 में 50 से अधिक स्वास्थ्य-तकनीक स्टार्ट-अप्स ने 500 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। इनवेस्ट यूपी के अनुसार, ये स्टार्ट-अप स्वास्थ्य परिक्षण व परामर्श के लिए एआई-आधारित मॉडल विकसित कर रहे हैं। जिनमें ऐसे मोबाइल ऐप्स डेवलप किये जा रहे हैं, जो कैंसर स्क्रीनिंग या मानसिक स्वास्थ्य मॉनिटरिंग के लिए मशीन लर्निंग का उपयोग करते हैं। इसी क्रम में लखनऊ स्थित स्टार्ट-अप 'हेल्थएआई सॉल्यूशंस' ने एआई-चालित गर्भावस्था ट्रैकर लॉन्च किया है, जो 1 लाख से अधिक उपयोगकर्ताओं तक पहुंच चुका है। यह इकोसिस्टम न केवल आर्थिक विकास को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि स्वास्थ्य समस्याओं के स्थानीय समाधान को भी जन्म दे रहा है।
ग्रामीण स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों में एआई-संचालित टेलीमेडिसिन कियोस्क हो रहे स्थापित
उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य विभाग के आधारभूत ढ़ाचे को भी एआई तकनीकि से जोड़ कर अधिक प्रभावी और उपयोगी बनाया जा रहा है। जिसके तहत प्रदेश में अबतक 12,000 से अधिक स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों तकनीकि उन्नयन किया गया है। ये केंद्र ग्रामीण क्षेत्रों में एआई-संचालित टेलीमेडिसिन कियोस्क और डिजिटल डायग्नोस्टिक टूल्स से लैस हैं, जो प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त बना रहे हैं।
सीएम योगी के मार्गदर्शन में उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था में एआई के उपयोग को बढ़ावा देकर स्वास्थ्य व्यवस्था का पूरी तरह से काया कल्प किया जा रहा है। यह न केवल प्रदेश के गरीबऔर आम लोगों के लिए वरदान बन रहा बल्कि एक स्वस्थ, सशक्त उत्तर प्रदेश की संकल्पना को मजबूत आधार दे रह है।



