मध्य प्रदेश

SIR में बड़ी चूक! अनुपस्थित बताकर भाजपा प्रवक्ता हितेष वाजपेयी का नाम मतदाता सूची से हटाया गया

भोपाल
मतदाता सूची के शुद्धीकरण के लिए चुनाव आयोग द्वारा किए गए विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) में 42 लाख से अधिक नाम सूची से हटाए गए हैं। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डा.हितेष वाजपेयी ने स्थान परिवर्तन के लिए निर्धारित फार्म आठ आनलाइन जमा किया पर उनका नाम प्रारूप सूची से हटा दिया गया। बूथ लेवल आफिसर (बीएलओ) ने उन्हें अनुपस्थित श्रेणी की सूची में डाल दिया।

इसी तरह प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता मिथुन अहिरवार का गणना पत्रक जमा हुआ। बीएलओ ने पावती भी दी पर उनका नाम भी सूची में नहीं आया। अब कहा जा रहा है कि फार्म छह भर दें, नाम सूची में जुड़ जाएगा। ऐसे एक-दो नहीं बल्कि कई प्रकरण सामने आ रहे हैं। उधर, मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय के अधिकारियों का कहना है कि 27 अक्टूबर 2025 को सूची फ्रीज कर दी गई थी।

 प्रारूप मतदाता सूची में 5.31 करोड़ मतदाताओं के नाम आए और 42 लाख से अधिक नाम मृत, अनुपस्थित, स्थायी रूप से स्थानांतरित और दोहरी प्रविष्ट होने के कारण हटाए गए। जो नाम हटाए, उनमें कुछ को लेकर आपत्ति सामने आ रही है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता हितेष वाजपेयी ने बताया कि उन्होंने आवास परिवर्तित किया है और नियमानुसार फार्म आठ ऑनलाइन भरकर सूचना चुनाव आयोग को दी। एसआइआर के प्रक्रिया के दौरान बूथ लेवल एजेंट ने संपर्क नहीं किया।

जब चर्चा की तो बताया कि कि आप सूची में दर्ज स्थान पर नहीं पाए गए इसलिए आपका गणना पत्रक अनुपस्थित की श्रेणी में दर्ज कर दिया है। आप नाम जुड़वाने के लिए फार्म छह भर दीजिए। जबकि, वह फर्म आठ भर चुके हैं यानी स्थान परिवर्तन की प्रक्रिया कर चुके हैं इसलिए उन्हें नए स्थान पर गणना पत्रक मिलना चाहिए था।

इसी तरह कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता मिथुन अहिरवार ने बताया कि वह आनंद नगर से अवधपुरी शिफ्ट हुए हैं। वहां बूथ लेवल आफिसर ने गणना पत्रक दिए। हमनें 2003 के एसआइआर की जानकारी के साथ उसे भर दिया। इसकी पावती भी बीएलओ ने दी लेकिन जब प्रारूप सूची देखी तो उसमें नाम ही नहीं है।

प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री संजय कामले का कहना है कि हमारे बूथ पर भी कुछ ऐसे नाम सूची में शामिल हैं, जो स्थायी रूप से स्थानांतरित हो चुके हैं। अब हम आपत्ति कर रहे हैं लेकिन सवाल यह है कि जब 22 लाख से अधिक मतदाता स्थायी रूप से स्थानांतरित की श्रेणी में रखे गए हैं तो फिर ये नाम शामिल कैसे हुए।

संयुक्त मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी आरपीएस जादौन का कहना है कि एसआइआर का काम पूरी पारदर्शिता के साथ हुआ है। बूथ लेवल आफिसरों ने मतदाताओं से संपर्क भी किया। दो बार अवधि बढ़ी, तब और सघनता से जो मतदाता नहीं मिले, उनका पता करने का प्रयास किया गया। आनलाइन फार्मों के बारे में निराकरण दावा-आपत्ति की प्रक्रिया पूरी होने के बाद होगा। निर्धारित प्रक्रिया अनुसार यदि फार्म होंगे तो निश्चित ही अंतिम सूची में नाम आएंगे।

Back to top button